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Sunday, 22 March 2020

Corona Lockdown

खो गई है पायल मेरे शहर की
क्या वो मिली आपको ?

दिनमे सो रहा है आज मेरा शहर,
रातों का सन्नाटा दिन में सोचा नहीं था।

कहा गई ये बस्तियां ? वो हस्तियां ?
जो चुप हुआ करती थी !?

बहुत बोला करती थी ये बाजारे पर
आज अजीब सा शोर है इन गलियों में।

शायद हमने देखा नहीं बहुत कुछ है,
गूंगी चीखे है तो कहीं सुमसाम संताप।

पता नहीं किसकी मोजुदगी बयां कर रहा है
ये मेरे शहर का शोर।

पता है आज दिल भी धड़कता है तो शोर लगता है।

जीने की उम्मीद कैसे करे ?
जब स्मशान लग रहा है हर शहर।

अब चुपचाप बहुत कुछ सीखा रहा है
ये मेरे शहर का शोर।

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